किसान, एक समाज में जो सबसे अधिक मेहनत करता है और जिसका जीवन प्राकृतिक तत्वों तथा बाहरी परिस्थितियों से गहरे रूप से जुड़ा होता है, यह कहना कि किसान "भाग्य बिधाता" है, कुछ हद तक एक आदर्शीकृत और अतिरंजित विचार हो सकता है। यह विशेष रूप से तब गलत प्रतीत होता है, जब हम उनके जीवन की वास्तविक परिस्थितियों और उनके द्वारा सामना की जाने वाली कठिनाइयों पर विचार करते हैं। आइए इसे और विस्तार से समझते हैं।
### 1. **किसान और भाग्य**
किसान का जीवन एक संयोग और परिश्रम का मिलाजुला रूप होता है, लेकिन इसे केवल भाग्य से जोड़ना सही नहीं है। यदि हम किसानों के जीवन को समझें, तो हम पाएंगे कि उनका अधिकांश समय प्राकृतिक आपदाओं, सूखा, बाढ़, कीटों, और कृषि नीति में बदलाव जैसी समस्याओं का सामना करने में बीतता है। इनमें से किसी भी परिस्थिति को किसान नियंत्रित नहीं कर सकता।
#### उदाहरण:
- **मौसम:** भारत के बहुत सारे हिस्सों में किसान अपनी फसल का समय मौसम के अनुसार तय करते हैं। यदि मौसम अनुकूल नहीं हो, जैसे कि बारिश का कम होना या बर्फबारी का अधिक होना, तो फसल का नष्ट होना तय है। उदाहरण के तौर पर, 2018 में केरल में भारी बाढ़ के कारण लाखों किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं। इस बर्बादी का कारण किसानों का परिश्रम नहीं था, बल्कि प्रकृति का कहर था।
- **कीट और रोग:** किसानों का एक अन्य प्रमुख संकट कीट और रोग हैं जो उनकी फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। जैसे 2017 में भारत के विभिन्न हिस्सों में कपास की फसल पर "बॉल वर्म" (गुच्छा कीट) का हमला हुआ था। इसके कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। यह घटना साबित करती है कि किसानों के प्रयासों के बावजूद, वे प्राकृतिक तत्वों और कीटों के नियंत्रण से बाहर होते हैं।
इस प्रकार, भाग्य के बजाय इन मुद्दों को समग्र रूप से कृषि नीतियों, मौसम, और प्राकृतिक तत्वों से जोड़ना अधिक उचित है।
### 2. **किसान की मेहनत और त्याग**
किसान वास्तव में एक ऐसी श्रेणी के लोग हैं, जिनकी मेहनत और समर्पण कई बार सराहना से परे होता है। वे न केवल अपनी फसल को उगाने के लिए कठिन श्रम करते हैं, बल्कि वे समाज के लिए भी एक महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, खासकर खाद्य आपूर्ति के संदर्भ में। फिर भी, उनकी मेहनत का फल हमेशा सकारात्मक नहीं होता, और इसका प्रभाव उनके जीवन पर पड़ता है।
#### उदाहरण:
- **खेतों में काम:** एक किसान हर दिन सूर्योदय से पहले अपने खेतों में कार्य करने के लिए उठता है। इस दौरान उसे तापमान, मृदा की स्थिति और मौसम को समझना पड़ता है। कई किसान रातभर जागकर फसल की देखभाल करते हैं, जैसे कि जल सिंचन, कीटनाशक छिड़कना और फसल की सुरक्षा।
- **त्याग:** किसान का जीवन कई प्रकार के त्याग से भरा होता है। उदाहरण के लिए, वे अक्सर अपने व्यक्तिगत सुख और आराम को त्याग कर कृषि कार्य में खुद को समर्पित कर देते हैं। परिवार के साथ समय बिताने का अवसर उन्हें कम ही मिलता है। कई बार किसानों को अपनी फसल की गुणवत्ता और मात्रा बढ़ाने के लिए कर्ज़ भी लेना पड़ता है। इससे उनके ऊपर वित्तीय दबाव बढ़ता है।
- **बाजार और मूल्य निर्धारण:** किसान का मेहनत से उगाया गया उत्पाद बाजार में सही मूल्य नहीं पाता। उदाहरण के लिए, भारत में आलू, टमाटर, प्याज जैसी फसलों की कीमतें जब अधिक होती हैं, तब किसानों को उनकी फसल के दाम बहुत कम मिलते हैं। बाजार के अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव से किसानों की आय प्रभावित होती है।
### 3. **किसान के लिए निःस्वार्थ कार्य**
किसान न केवल अपने परिवार और समाज के लिए काम करता है, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए भी निःस्वार्थ कार्य करता है। यह कार्य उसके पर्यावरण को प्रभावित करने के बजाय, उसे बनाए रखने के उद्देश्य से होता है। हालांकि, इसके लिए उसे पर्याप्त जागरूकता, संसाधन और प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।
#### उदाहरण:
- **जैविक खेती:** कई किसान पारंपरिक कृषि पद्धतियों को छोड़कर जैविक खेती की ओर रुख कर रहे हैं, ताकि भूमि की उर्वरता को बनाए रखा जा सके और रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कम किया जा सके। यह न केवल उनके लिए लाभकारी है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी उपयुक्त खेती के रास्ते खोलता है।
- **जलसंचयन:** खासकर सूखा प्रभावित क्षेत्रों में किसान जलसंचयन की दिशा में कई निःस्वार्थ कार्य कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, राजस्थान के कुछ हिस्सों में किसान वर्षा जल संचयन के लिए तालाबों और कुओं का निर्माण करते हैं। इसका उद्देश्य न केवल अपनी खेती को बचाना है, बल्कि समुदाय के अन्य लोगों को भी जल उपलब्ध कराना है।
- **पेड़-पौधों का संरक्षण:** कई किसान पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधारोपण में भी भाग लेते हैं। वे अपने खेतों के आसपास वृक्षारोपण करते हैं, ताकि मृदा का क्षरण रोका जा सके और जैव विविधता को बढ़ावा दिया जा सके। यह कार्य उनके पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
### 4. **किसान की सामाजिक भूमिका और जरूरतें**
किसान की निःस्वार्थ भूमिका केवल कृषि तक सीमित नहीं है। वे समाज में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, रोजगार पैदा करने और अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
#### उदाहरण:
- **सामाजिक जिम्मेदारी:** किसान अपनी खेती से न केवल अपनी खुद की आजीविका कमा रहे हैं, बल्कि अन्य श्रमिकों को भी रोजगार दे रहे हैं। विशेष रूप से, छोटे किसानों और खेतिहर श्रमिकों के लिए यह एक जीवनयापन का प्रमुख साधन होता है।
- **शिक्षा और स्वास्थ्य:** कुछ किसान अपनी आमदनी का हिस्सा बच्चों की शिक्षा और परिवार के स्वास्थ्य पर भी खर्च करते हैं। यह न केवल उनके परिवार की स्थिति में सुधार लाता है, बल्कि सामूहिक रूप से समाज के विकास में भी योगदान करता है।
### निष्कर्ष:
किसान की मेहनत, संघर्ष और निःस्वार्थ कार्य समाज के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। वे न केवल अपनी फसल उगाने के लिए कठिन परिश्रम करते हैं, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और सामाजिक कल्याण के लिए भी योगदान करते हैं। हालांकि, उन्हें "भाग्य बिधाता" कहना उनके जीवन के जटिल पहलुओं को नजरअंदाज करना होगा। उनकी सफलता के लिए न केवल उनका परिश्रम, बल्कि बेहतर नीतियाँ, संसाधन और मौसम जैसे बाहरी तत्व भी जिम्मेदार हैं।
किसानों की वास्तविक स्थिति और योगदान को समझने के लिए हमें उन्हें अधिक सम्मान देने की आवश्यकता है, साथ ही उनके जीवन की कठिनाइयों को भी पहचानने की आवश्यकता है। उनके लिए उचित नीति, आर्थिक सहायता, और पर्यावरणीय प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता है, ताकि वे अपनी मेहनत का सही फल पा सकें।