**"दीवारें न हों, तो दुनिया से भी बड़ा हो जाता है घर"**
हमारे जीवन में घर का एक विशेष स्थान है। घर सिर्फ एक भौतिक स्थान नहीं होता, बल्कि यह एक भावनात्मक जुड़ाव और अनुभव का प्रतीक है। लेकिन जब घर में कोई दीवारें नहीं होतीं, तो उसका अर्थ बदल जाता है। बिना दीवारों के घर की परिभाषा पूरी तरह से बदल जाती है, और यह केवल चार दीवारों में बंधा हुआ नहीं रहता, बल्कि यह एक खुला अनुभव बन जाता है। आइए समझते हैं कि आखिर दीवारें हटाने से घर कैसे दुनिया से भी बड़ा हो जाता है।
1. **खुलापन और स्वतंत्रता**:
जब घर में दीवारें नहीं होतीं, तो वह एक खुला, निरंतर विस्तार पाने वाला स्थान बन जाता है। ऐसा घर हमें मानसिक और शारीरिक दोनों रूपों में स्वतंत्रता का एहसास दिलाता है। दीवारों के बिना, हम हर दिशा में विस्तार कर सकते हैं, अपने विचारों और भावनाओं को बिना किसी रुकावट के व्यक्त कर सकते हैं। यही स्वतंत्रता हमें अपने अस्तित्व का पूरा अनुभव कराती है।
2. **प्राकृतिक जुड़ाव**:
दीवारों के बिना घर में हम पूरी तरह से प्रकृति से जुड़ सकते हैं। आकाश, हवा, सूरज की रोशनी और ताजगी हमारे चारों ओर होती है। कोई भी दीवार हमें इन तत्वों से अलग नहीं करती। यह अनुभव घर को केवल एक जगह नहीं, बल्कि जीवन के एक उत्सव में बदल देता है। जब हम अपने घर के अंदर भी बाहर की हवा और प्रकृति का आनंद ले सकते हैं, तो हमें अपने आस-पास की दुनिया से कोई दूरियां नहीं महसूस होतीं।
3. **संभावनाओं का विस्तार**:
दीवारों के बिना, कोई सीमा नहीं रहती। घर में फैलाव होता है, और इससे विचारों, सपनों और योजनाओं का विस्तार भी संभव हो जाता है। जब हमारी सोच और जीवन के प्रति दृष्टिकोण किसी दीवार से बाधित नहीं होते, तो हम उन अनगिनत संभावनाओं को देख पाते हैं, जो अब तक अनजानी थीं। यह हमारे भीतर एक नई ऊर्जा का संचार करता है और हमें हर क्षेत्र में अपने आपको बेहतर बनाने की प्रेरणा देता है।
4. **संबंधों की गहराई**:
दीवारें केवल भौतिक रूप से ही नहीं, बल्कि भावनात्मक रूप से भी हमें एक-दूसरे से अलग करती हैं। जब घर में दीवारें नहीं होतीं, तो रिश्ते भी अधिक सहज और खुलकर विकसित होते हैं। यहां हर सदस्य के विचारों और भावनाओं को सम्मान मिलता है, और एक-दूसरे के साथ बेहतर जुड़ाव महसूस होता है। जब दिलों के बीच कोई दीवार नहीं होती, तो रिश्तों में गहराई और समझ बनी रहती है। यही एक घर को सच में खास बनाता है।
5. **सपनों की दुनिया**:
एक घर, जो दीवारों से मुक्त होता है, वह केवल एक शरणस्थल नहीं, बल्कि एक सपना होता है। इसमें हर व्यक्ति अपनी इच्छाओं और सपनों को खुले तौर पर व्यक्त कर सकता है। यहाँ सीमाओं का कोई स्थान नहीं है, और हर विचार, हर सपना बिना किसी रुकावट के आ सकता है। घर में दीवारें न होने से हम अपनी कल्पनाओं और रचनात्मकता को पूरी तरह से उजागर कर पाते हैं। यह घर सच में एक अद्वितीय जगह बन जाती है, जहां हर सपना साकार होने की संभावना होती है।
6. **अनंतता और विस्तार**:
दीवारों के बिना, घर न केवल भौतिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी अनंत हो जाता है। यह केवल एक जगह नहीं, बल्कि एक अनुभव बन जाता है, जिसमें हम अपनी पूरी संभावनाओं को महसूस करते हैं। जब कोई सीमा नहीं होती, तो हम खुद को पूरी दुनिया का हिस्सा महसूस करते हैं। घर में दीवारें न होने से हमें हर दिशा में अनंतता का एहसास होता है। यह हमें अपनी असल क्षमता को पहचानने का अवसर देता है, और हम अपने सपनों को बड़े तरीके से जी सकते हैं।
**निष्कर्ष**:
घर में दीवारों का न होना सिर्फ एक भौतिक परिवर्तन नहीं, बल्कि एक मानसिक और भावनात्मक विकास का संकेत है। यह न केवल हमारे विचारों और सपनों की दुनिया को बड़ा बनाता है, बल्कि यह हमारे संबंधों को भी गहरा करता है। जब दीवारें नहीं होतीं, तो हम अपनी पूरी शान से दुनिया को गले लगा सकते हैं, और हमारे घर का आकार आकाश जितना बड़ा हो सकता है। इस तरह, एक दीवारों से मुक्त घर दुनिया से भी बड़ा हो जाता है, क्योंकि यहां सीमाएं नहीं, सिर्फ अनंत संभावनाएं होती हैं
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