📖 एक साधारण प्राइवेट विद्यालय की बढ़ती मुश्किलें
आजकल प्रशासन और आम जनता प्राइवेट विद्यालयों को "लूट का अड्डा" समझने लगे हैं। मैं यह नहीं कहता कि वे पूरी तरह गलत हैं, क्योंकि देश में ऐसे कुछ बड़े-बड़े संस्थान हैं जिनका उद्देश्य सिर्फ व्यापार है। लेकिन सच्चाई यह है कि ऐसे संस्थानों की संख्या लगभग **10%** है, जबकि **90% प्राइवेट विद्यालय** पूरी ईमानदारी और सेवा भाव से शिक्षा प्रदान करते हैं।
जहाँ पर अधिकतम संपूर्ण मद मिलाकर कुल शुल्क कक्षा 12वीं तक मात्र 8000 से 10,000 रुपये प्रतिवर्ष (लगभग 1,000 रुपये मासिक) है।
ज़रा सोचिए – 1,000 रुपये मासिक शुल्क में एक विद्यालय आपके बच्चे को क्या-क्या दे रहा है?
विद्यालय की वास्तविक सेवाएँ (2025 की महँगाई के हिसाब से)
1. प्रतिदिन 5–6 घंटे आपके बच्चे की सुरक्षा और देखरेख।
2. नियमित **असेंबली**, प्रार्थना, संगीत वाद्ययंत्र (हारमोनियम, तबला आदि)।
3. गुरु का आदर, माता-पिता की वंदना, शिष्टाचार और संस्कार।
4. मंच पर बुलाकर **सुविचार, समाचार, संस्कृत श्लोक** – ताकि आत्मविश्वास (Self Confidence) बढ़े।
5. बच्चों में **अध्ययन की तैयारी और जिज्ञासा** जगाना।
6. समय सारणी के अनुसार नियमित कक्षाएँ और अध्ययन का वातावरण।
7. **कंप्यूटर शिक्षा** (जो बाहर 1,000 मासिक अलग से लगती)।
8. **संगीत, नृत्य, खेलकूद** जैसी गतिविधियों के लिए प्रेरणा।
9. बच्चों के अंदर **संस्कृति, अनुशासन, सभ्यता, कर्मठता** भरना।
10. बच्चों के लिए **हैंडवॉश, स्वच्छता और स्वास्थ्य की सुविधाएँ**।
11. भवन की पुताई, साफ-सफाई, बिजली, शुद्ध पानी, वाशरूम की प्रतिदिन सफाई।
12. विभिन्न **त्यौहार और विशेष कार्यक्रम**, बच्चों को टॉफी, नाश्ता आदि बिना अतिरिक्त शुल्क।
13. भोजन से पहले **भोजन मंत्र और आदर की भावना**।
14. खेल प्रतियोगिता, वार्षिक उत्सव और अन्य मंचीय अवसर।
15. छुट्टी तक बच्चों की सुरक्षा और जिम्मेदारी।
16. प्रतिदिन होमवर्क की जाँच और अभिभावकों की समस्या का समाधान (कभी भी फोन पर)।
17. समय-समय पर टेस्ट और मूल्यांकन।
18. वार्षिक उत्सव जैसे बड़े मंच की व्यवस्था।
19. शिक्षकों का वेतन (10–12 हज़ार) – फिर भी पूर्ण ईमानदारी से सेवा।
20. नशामुक्त वातावरण (प्राइवेट विद्यालय )।
21. दिल से कार्य करने वाली संस्था जो समाज की सच्ची मार्गदर्शक है।
22. UDISE, समग्र शिक्षा जैसे पोर्टलों पर काम करना – बिना किसी अतिरिक्त सहायता।
23. सरकारी नियमों का पालन – बिना किसी सरकारी फंड के।
24. टेस्ट पेपर, मार्कशीट, प्रिंटिंग आदि भी इसी शुल्क में शामिल।
सोचने योग्य प्रश्न
👉 यदि विद्यालय यह सब कुछ मात्र *₹1000 मासिक शुल्क*में दे रहा है, तो क्या इसे “लूट” कहा जा सकता है?
👉 क्या विद्यालय जबरदस्ती बच्चों का प्रवेश करता है?
👉 क्या विद्यालय बिना फीस लिए भी इतने सारे कार्य लंबे समय तक चला पाएगा?
निष्कर्ष
**साधारण प्राइवेट विद्यालय व्यापार नहीं, सेवा है।**
ये विद्यालय अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
यदि हम चाहते हैं कि हमारे बच्चों का भविष्य उज्ज्वल हो, तो हमें न केवल विद्यालय बल्कि वहाँ के शिक्षकों का भी सम्मान करना चाहिए।
अभिलाष कुमार पाठक
संचालक
RSIT स्कूल ऑफ एक्सीलेंस