� शारदीय नवरात्रि का पौराणिक एवं शास्त्रीय महत्व 🌸
1. नवरात्रि की उत्पत्ति (पुराण अनुसार)
* जब महिषासुर नामक असुर ने तीनों लोकों में उत्पात मचाया और देवता उससे पराजित हो गए, तब सभी देवताओं ने अपनी-अपनी शक्तियाँ एकत्र कीं।
* उन्हीं शक्तियों से आदि शक्ति दुर्गा का प्राकट्य हुआ।
* माँ दुर्गा ने नौ दिनों और रातों तक महिषासुर और अन्य दैत्यों से युद्ध किया और दशमी के दिन उसका वध कर देवताओं को पुनः स्वर्ग का अधिकार दिलाया।
* इसीलिए इसे नवरात्रि और विजय दिवस को विजयादशमी (दशहरा) कहा जाता है।
2. शास्त्रीय आधार
* मार्कण्डेय पुराण (दुर्गा सप्तशती) में नवरात्रि व्रत और पाठ का महत्व बताया गया है।
* स्कन्द पुराण में कहा गया है कि नवरात्रि उपवास से मनुष्य के सभी पाप नष्ट होते हैं।
* देवी भागवत पुराण में वर्णित है कि कलियुग में केवल देवी की उपासना से ही मनुष्य सुख और मोक्ष प्राप्त कर सकता है ।
3. नौ देवियों की आराधना
नवरात्रि के नौ दिन माँ दुर्गा के नौ रूपों की उपासना के लिए माने जाते हैं –
1. शैलपुत्री – भक्ति और शक्ति की आराधना
2. ब्रह्मचारिणी – तप, संयम और त्याग
3. चंद्रघंटा – शांति और साहस
4. कूष्मांडा – सृष्टि और उर्जा की देवी
5. स्कंदमाता – मातृत्व और करुणा
6. कात्यायनी – शौर्य और विजय
7. कालरात्रि – भय का नाश करने वाली
8. महागौरी – शुद्धि और पवित्रता
9. सिद्धिदात्री – ज्ञान, सिद्धि और मोक्ष देने वाला
4. ऋतु परिवर्तन और साधना
* शारदीय नवरात्रि वर्षा ऋतु के बाद शरद ऋतु के आगमन पर आती है।
* यह समय साधना और तपस्या के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है।
* उपवास और नियमों का पालन शरीर को स्वस्थ बनाता है और साधक का मन एकाग्र होकर ईश्वर भक्ति में लग जाता है।
✨ निष्कर्ष
शारदीय नवरात्रि का महत्व केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक दृष्टि से भी है। यह पर्व हमें सिखाता है कि –
* जब भी अधर्म और अन्याय बढ़े, तो धर्म और शक्ति मिलकर उसकी रक्षा करें।
* साधना, संयम और भक्ति से ही जीवन में सफलता और मोक्ष की प्राप्ति होती है।