धर्म जोड़ता है, तोड़ता नहीं”
क्यों बाँट रहे हो मंदिर-मस्जिद के नाम पर,
क्यों जला रहे हो नफरत इंसान के काम पर।
अली का नाम लो तो आदर से लो,
राम का नाम लो तो प्रेम से बोलो!
दीपक की लौ से जगमग है ये धरती,
चाँद की रोशनी से जग झूमता भरती।
दीवाली हो या रमज़ान की रात,
दोनों में एक ही संदेश — प्रेम की बात!
ना तू बड़ा, ना मैं छोटा,
दोनों ही खुदा के बेटे, दोनों ही सच्चा।
मंदिर में भी दिल धड़कता है प्यार से,
मस्जिद में भी सजदा होता है यार से।
ईश्वर-खुदा दो नाम सही,
पर रूह तो हर दिल में वही!
जो राम में रम गया, वही अली का है,
जो प्रेम में सम गया, वही सलीका है।
चलो दीप जलाएँ और रोज़ा भी रखें,
मन में नफरत नहीं, बस मोहब्बत लिखें।
जहाँ-जहाँ इंसानियत का गीत बजेगा,
वही सच्चा हिंदुस्तान सजेगा! 🇮🇳
किसी का ईद, किसी की दिवाली,
दोनों में खुशियों की लाली।
ना “अली” अलग, ना “राम” पराया,
दोनों ने सिखाया — प्रेम ही सच्चा साया!
🔊 संदेश:
> “धर्म अगर जोड़ना नहीं सिखाता, तो वह धर्म नहीं — भ्रम है!”
> “जिस दिन राम और अली एक मंच पर गाए जाएँगे, उसी दिन सच्चा भारत जगमगाएगा!”
- Abhilash Kumar Pathak
RSIT SCHOOL OF EXCELLENCE
RSIT INSTITUTE KARKELI